तू जिंदा है तो ज़िन्दगी की जीत पर यकीन कर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
ये गम के और चार दिन, सितम के और चार दिन
ये दिन भी जायेंगे गुज़र, गुज़र गए हज़ार दिन
कभी तो होगी इस चमन पे भी बहार की नज़र
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
बुरी है आग पेट की बुरे हैं दिल के दाग ये
न दब सकेंगे एक दिन बनेंगे इन्कलाब ये
मुसीबतों के सर कुचल चलेंगे एक साथ हम
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
जमीं के पेट में पले अगन पले हैं जलजले
टिके न टिक सकेंगे भूख रोग के स्वराज ये
गिरेंगे ज़ुल्म के महल बनेंगे फिर नवीन घर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
हज़ार भेष धर के आई मौत तेरे द्वार पर
मगर तुझे न छल सकी चली गयी वो हारकर
नयी सुबह के संग सदा तुझे मिली नयी उमर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
हमारे कारवां को मंजिलों का इंतजार है
ये बिजलियों ये आँधियों की पीठ पर सवार हैं
तू आ कदम मिला के चल चलेंगे एक साथ हम
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
सुबह ओ शाम के रंगे हुए गगन को चूमकर
तू सुन ज़मीन गा रही है कबसे झूम झूमकर
तू आ मेरा श्रंगार कर तू आ मुझे हसीं कर
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर
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