रविवार, 13 फ़रवरी 2011

मारपीट करने का अवसर 14 फरवरी बना लिया
















प्रेमी युगलोँ पर तुम बंधू मत यूँ अत्याचार करो
देखो प्यारे ढोँग छोड़ दो प्रेम को भी स्वीकार करो

मारपीट करने का अवसर 14 फरवरी बना लिया
बिन सोचे समझे तुमने जो चाहा शायद वही किया

प्रेमी युगलोँ का यूँ मिलना तुम्हेँ हमेशा खलता है
और अगर तुम स्वयं करो तो कहते हो "सब चलता है"

देखेँ तो इस दुनियाँ मेँ त्योहारोँ की भरमार है
हर रिश्ते के लिए जगत मेँ आदर है सत्कार है

एक विरोधाभाष देखकर मन उलझा सा जाता है
हर त्योहार मेँ प्रेम है मिलता प्रेम दिवस मेँ मार है

कृष्ण गोपियोँ की कहानियाँ तुम्हीँ लोग तो गाते हो
शंकर गौरा मिले हिमालय मेँ तुम ही बतलाते हो

प्रेम से इतनी नफ़रत है तो कहाँनियोँ को कफ़न करो
या फिर शंकर कृष्ण राम की मूरत सारी दफ़न करो

इन्हीँ कथाओँ मेँ तुम होते तो क्या ऐसे ही चिल्लाते?
कृष्ण गोपियोँ गौरा शंकर को तुम यूँ ही मार भगाते?

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"बूँद"
14 फरवरी 2008
(पिथौरागढ़)

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