काले अक्षर
विक्रम नेगी की कविताओं और ज़ज़बातों का ठिकाना
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बुधवार, 25 अप्रैल 2012
"बेवकूफ हैं हम माथे पर लिखा हुआ है...
हर चैनल पर ढोंगी बाबा टिका हुआ है
.
लोकतंत्र का चौथा खम्भा बिका हुआ है
.
सांई
,
आशा
,
निर्मल
,
रामू
,
सबको देखा
,
मन पगला फिर भी बामन की शिखा हुआ है
.
अब टीवी फोडें या माथा
,
कुछ नहीं होना
,
"
बेवकूफ हैं हम
माथे पर लिखा हुआ है
".
...............
"बूँद"
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