आ अब लौट चलें "बूँद",
ये कहाँ आ गए..?
भूल गए क्या.....
तुम्हें खुद की तलाश थी....?
सफर लंबा था,
तो क्या हुआ....
कोई ऐसे ही तो अपना काम नहीं भूलता......?
रास्तों को दोष मत दो,
तुम ही थककर बैठ गए थे....
चलो....
दुनियां को दोष मत दो.
तुम ही खुद यहाँ आये थे...
अपनी तलाश करते करते............
और यही बात भूल गए...
चलो.......लौट चलो........
आगे रास्ता बहुत लंबा है......
"बूँद"
०२ मार्च २०१२
१२:०३ पूर्वान्ह.
(डीडीहाट)
ये कहाँ आ गए..?
भूल गए क्या.....
तुम्हें खुद की तलाश थी....?
सफर लंबा था,
तो क्या हुआ....
कोई ऐसे ही तो अपना काम नहीं भूलता......?
रास्तों को दोष मत दो,
तुम ही थककर बैठ गए थे....
चलो....
दुनियां को दोष मत दो.
तुम ही खुद यहाँ आये थे...
अपनी तलाश करते करते............
और यही बात भूल गए...
चलो.......लौट चलो........
आगे रास्ता बहुत लंबा है......
"बूँद"
०२ मार्च २०१२
१२:०३ पूर्वान्ह.
(डीडीहाट)
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