सुना है
तेरे शहर से
हर रोज गुजरती है
तेरी साँसोँ की
खुशबू से मचलती है
अपनी धुन मेँ गाती हुई
थिरकती चली आती है
तेरे शहर मेँ
हर रोज
और सुना है
आवाज देती है तुम्हेँ
और तुम्हेँ न पाकर
लौट जाती है
काठगोदाम एक्सप्रेस...!
तेरे शहर से
हर रोज गुजरती है
तेरी साँसोँ की
खुशबू से मचलती है
अपनी धुन मेँ गाती हुई
थिरकती चली आती है
तेरे शहर मेँ
हर रोज
और सुना है
आवाज देती है तुम्हेँ
और तुम्हेँ न पाकर
लौट जाती है
काठगोदाम एक्सप्रेस...!
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