शनिवार, 5 मई 2012

नन्ही कलम की बातेँ बड़ी...



नन्ही कलम की बातेँ बड़ी
तुमने लिखी और मैँने पढ़ी
पढ़ते भी रहना लिखते भी रहना
देखो न टूटे कभी ये कड़ी

दिखने मेँ है ये दुबली पतली
लेकिन इसी ने दुनियाँ बदली
इसने ही कविता कहानी गढ़ी
नन्ही कलम की बातेँ बड़ी

स्याही की सरिता मेँ ये बह चली
गाती हँसाती है ये मनचली
शब्दोँ की मणियोँ से शोभित छड़ी
नन्ही कलम की बातेँ बड़ी

इसने ही सपनोँ की दुनियाँ बुनी
दुखियोँ ग़रीबोँ की इसने सुनी
इसने बुराई से है जंग लड़ी
नन्ही कलम की बातेँ बड़ी
..............
"बूँद"

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