हर पल उनको याद करें क्यों?
वक्त अपना बर्बाद करें क्यों?
दिल के जख्म उभर आयेंगे,
पैदा वो हालात करें क्यों?
अतीत जो
इतिहास बन गया,
फिर उसका
अनुवाद करें क्यों?
जिसका कोई
नहीं है हासिल,
ऐसी कोई
बात करें क्यों?
हाथ
मिलेंगे, दिल न मिलेंगे,
फिर उनसे
मुलाक़ात करें क्यों?
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“बूँद”
२८.१२.२००८
(पिथौरागढ़)
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