ऐसी मतवाली सुबह कहाँ
बस्ती करती है कलह जहाँ
तेरा-मेरा, इसका-उसका
लड़ने की ढेरोँ वजह यहाँ
है जातिवाद और छुआछूत
पानी की दो-दो सतह यहाँ
तू-तू, मैँ-मैँ, चलती रहती
होती न कभी भी सुलह यहाँ
मज़हब ने बस्ती कब्ज़ा ली
इंसाँ के लिए है जगह कहाँ?
दौलत का सागर हँसता है
तो "बूँद" रहे किस तरह यहाँ?
---
"बूँद"
23 फरवरी 2011
(डीडीहाट)
बस्ती करती है कलह जहाँ
तेरा-मेरा, इसका-उसका
लड़ने की ढेरोँ वजह यहाँ
है जातिवाद और छुआछूत
पानी की दो-दो सतह यहाँ
तू-तू, मैँ-मैँ, चलती रहती
होती न कभी भी सुलह यहाँ
मज़हब ने बस्ती कब्ज़ा ली
इंसाँ के लिए है जगह कहाँ?
दौलत का सागर हँसता है
तो "बूँद" रहे किस तरह यहाँ?
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"बूँद"
23 फरवरी 2011
(डीडीहाट)
no option for boond..........yahi rahna hoga auk kahte rahna hoga............veri good vikram keep it up bro...........
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