बुधवार, 26 जनवरी 2011

क्या होगा इस देश का यारो?

कार चाहिए, यार चाहिए
इक अच्छा डांसबार चाहिए
फाइल नहीँ, मोबाइल चाहिए
एक अनोखी स्टाइल चाहिए
गर्ल्स की लंबी लाइन चाहिए
और बालोँ मेँ शाइन चाहिए
एक अट्रैक्टिव फेस चाहिए
इक सपनोँ का देश चाहिए
एक शॉटकट रोड चाहिए
न कंधोँ पर लोड चाहिए
धैर्य नहीँ है, बेकरार हैँ
लगी हुई लंबी कतार है
कैसे होँगे पूरे सपने
यूथ लगे हैँ कहाँ भटकने
दौड़ रहे हैँ अंधकार मेँ
झूम रहे हैँ बियरबार मेँ
राह सही है या ग़लत है
सपनोँ को पाने की ललक है
कहाँ चले हैँ, पता नहीँ है
कहाँ खड़े हैँ, पता नहीँ है
रुपयोँ मेँ ही उलझ रहे हैँ
एड्स अग्नि मेँ झुलस रहे हैँ
कन्याओँ के केश कटे हैँ
कपड़े भी कुछ घटे घटे हैँ
लाज़ की रेखा पार कर रही
देह से वो व्यापार कर रही
कहाँ है मंज़िल खबर नहीँ है
कोई सुनिश्चित डगर नहीँ है
न जाने ये कैसी प्यास है
आज हर युवक देवदास है
शर्म लाज़ छोड़ चुकी है पारो
क्या होगा इस देश का यारो?
......................
(विक्रम नेगी "बूँद")
2001, पिथौरागढ़

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...