काले अक्षर

विक्रम नेगी की कविताओं और ज़ज़बातों का ठिकाना

पेज

  • मुख्यपृष्ठ
  • मेरा पहाड़ फोरम
  • उत्तरपूर्वी धात
  • ट्विटर प्रोफाईल
  • फेसबुक पृष्ठ
  • फेसबुक प्रोफाईल
  • गज़लें
  • अनुवाद
  • कविताएँ-१
  • कविताएँ-२
  • लेख
  • जनगीत
  • वीडियो
  • तस्वीरें


Amazon से खरीदें

  • On Amazon लूट महोत्सव (नाटक)
  • On Amazon क्या होगा इस देश का यारो (कविता संग्रह)

शुक्रवार, 29 जुलाई 2016

नवसृजन महोत्सव दिल्ली २०१६ (अखिल भारतीय कवि सम्मलेन) में ग़ज़ल प्रस्तुति


द्वारा Vikram Negi समय 7/29/2016 11:46:00 pm
इसे ईमेल करेंइसे ब्लॉग करें! X पर शेयर करेंFacebook पर शेयर करेंPinterest पर शेयर करें
श्रेणी वीडियो

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

नई पोस्ट पुरानी पोस्ट मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

दस्तक

कविता संग्रह- क्या होगा इस देश का यारो (२०१६)

कविता संग्रह- क्या होगा इस देश का यारो (२०१६)
कदम प्रकाशन

नाटक- लूट महोत्सव (२०१६)

नाटक- लूट महोत्सव (२०१६)
कदम प्रकाशन

नाटक संग्रह- आखिर कब तक (२००९)

नाटक संग्रह- आखिर कब तक (२००९)
हिमाल प्रकाशन

ताज़ा पोस्ट्स

Blogger Tips and TricksLatest Tips And TricksBlogger Tricks





अलमारी

  • अनुवाद (2)
  • कविता (अंग्रेजी) (2)
  • कविता (कुमाउनी) (1)
  • कविता (छंदबद्ध) (11)
  • कविता (मुक्तछंद) (30)
  • ग़ज़ल (20)
  • जनगीत (3)
  • लेख (अन्य) (1)
  • वीडियो (8)

आगंतुक





मेरा पहाड़ फोरम पर

  • विक्रम नेगी की कविताएँ और लेख पृष्ठ ०१
  • विक्रम नेगी की कविताएँ और लेख पृष्ठ ०२
  • विक्रम नेगी की कविताएँ और लेख पृष्ठ ०३


चलती पोस्ट्स

Blogger Tips and TricksLatest Tips And TricksBlogger Tricks

साथी

जो कुछ लिखा..

  • उबलते हैं मेरे ज़जबात.....(ग़ज़ल) Ubalte Hain Mere Zazbaat (Ghazal) Written, Music & Sung By- Vikram Negi
    https://www.youtube.com/watch?v=NqiAODCFY-c
  • कहीं न जाना खबर दिखाने का वादा है.
    एंकर बोली इस चैनल में सच ज्यादा है. कहीं न जाना खबर दिखाने का वादा है. एक खबर पर दो घंटे का हल्ला काटा , बोली फिर विज्ञापन की थोड़ी बाधा...
  • काले अक्षर: नवसृजन महोत्सव दिल्ली २०१६ (अखिल भारतीय कवि सम्मले...
    काले अक्षर: नवसृजन महोत्सव दिल्ली २०१६ (अखिल भारतीय कवि सम्मले...
  • जलती हुई सिगरेट की तरह
    यह साल भी खत्म हो गया जलती हुई सिगरेट की तरह थोड़ी सी आग   साँसोँ मेँ घुली बहुत सारा धुँआ   बाहर निकला   ठुड्डियाँ बची हुई हैँ ...
  • प्रेम कवितायेँ
    फूलों की खुशबू , बारिश की बूंदों का नृत्य , आँगन में चहचहाती चिडियाँ की चूं-चूं कोयल की कूँ-कूँ शाखों पर लचकते आमों की अंगड़ाई को...
  • बुतपरस्ती का असर...
    ज़िस्म ज़िंदा, ज़हन बुत है, ज़ुबां बुत, दिल-औ-नज़र बुतपरस्ती का असर लोगों पे छाया इसक़दर सोच के कमरों में ताले आस्था के जड़ दिए  ...
  • नवसृजन महोत्सव दिल्ली २०१६ (अखिल भारतीय कवि सम्मलेन) में ग़ज़ल प्रस्तुति
  • वो चाहते नहीं ये आग ख़त्म हो कभी
    खुद आग लगाकर दरों से देखते हैं वो  जलते हुए घरों से हाथ सकते हैं वो करते हैं बात भाषणों में चैन ओ अमन की  नफ़रत के बम शहर में...
Text selection Lock by Hindi Blog Tips
Right Click Lock by Hindi Blog Tips



बूँद (परिचय)

Vikram Negi
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें

हमारी वाणी पर मेरा ब्लॉग

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

साथ जुड़ें

संदेश
Atom
संदेश
टिप्पणियाँ
Atom
टिप्पणियाँ

पोस्ट चयन करें

Blogger Tips and TricksLatest Tips And TricksBlogger Tricks

कविता संग्रह- क्या होगा इस देश का यारो (२०१६)

कविता संग्रह- क्या होगा इस देश का यारो (२०१६)
कदम प्रकाशन
Vikram Singh Negi, Pithoragarh (Uttrakhand). सरल थीम. Blogger द्वारा संचालित.