सोमवार, 7 मई 2012

नेताओं ले देश मेरो बुकै हैलो



नेताओं ले देश मेरो बुकै हैलो
भारत माताक शीश झुकै हैलो

धर्म, जाति आड़ लिबे, दंग यो करुनी
एक भै कैं दूसर भैक दगाड यो लडूनी  
मारकाट करी दिल दुखै हैलो
भारत माताक शीश झुकै हैलो

महंगाईक मार हैगे, जनता बीमार रैगे
पाणी लै बेचाण भैगो, प्यास आब प्यास रैगे
जनताक धन क्वाड लुकै हैलो
भारत माताक शीश झुकै हैलो

किसान बेहाल छन, मजूर छन निराश
लौंड बेरोजगार भैरी, लिबे खाली आस
देशक विकास यसी रुकै हैलो
भारत माताक शीश झुकै हैलो

लट्ठी-डंड थमेबेर लौंडों कै भड्कूनी
आपुण फैद लिजी फिर शराब पिलूनी
लौंड-मौडूंक सारै खून सुखै हैलो
भारत माताक शीश झुकै हैलो
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विक्रम नेगी “बूँद”
२००५, पिथौरागढ़

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