रविवार, 13 फ़रवरी 2011

अबला नहीँ नारी

आश्रित नहीँ, शाषित नहीँ, दुखिया न बेचारी
निर्बल नहीँ, दुर्बल नहीँ, अबला नहीँ नारी

संज्ञा मिली देवी की पर प्रतिमा से बढ़कर कुछ नहीँ
श्रृंगार देवी सा किया अधिकार खुद पर कुछ नहीँ

संज्ञा नहीँ, प्रतिमा नहीँ, उपमा नहीँ नारी
निर्बल नहीँ, दुर्बल नहीँ, अबला नहीँ नारी

माँ यही, बेटी यही, पत्नी यही बनती रही
अपमान सहकर उम्रभर बस बच्चे ही जनती रही

रमणी नहीँ, जननी नहीँ, रजनी नहीँ नारी
निर्बल नहीँ, दुर्बल नहीँ, अबला नहीँ नारी

सोच पर पहरे बहुत आवाज़ भी मुट्ठी मेँ है
सहना ही संस्कार है शालीनता चुप्पी मेँ है

शबरी नहीँ, सीता नहीँ, राधा नहीँ नारी
निर्बल नहीँ, दुर्बल नहीँ, अबला नहीँ नारी

सरिता है वो, वनिता है वो, महिला है वो, उत्सव है वो,
साथी है वो, समता है वो, इंसान है, मानव है वो

मुस्कान है, अरमान है, सम्मान है नारी
*****
"बूँद"
8 मार्च 2007
(पिथौरागढ़)

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